उन्होंने देशवासियों से इस रविवार यानी पांच अप्रैल की रात नौ बजे नौ मिनट के लिए घर की लाइटें बंद करने और दीया, मोमबत्ती या मोबाइल की फ्लैशलाइट जलाने की अपील की। इसके जरिए उन्होंने इस संकट की घड़ी में लोगों से एकजुटता दिखाने की अपील की है। पीएम मोदी के इस वीडियो संदेश के बाद से चर्चा होती रही कि ऐसा करने के पीछे आखिर क्या कारण है! क्या ताली-थाली अपील की ही तरह इसके पीछे भी कोई मेडिकल साइंस या वैज्ञानिक कारण हैं?
सामूहिक चेतना का सिद्धांत -
हमारे शरीर और सामूहिक चेतना के सिद्धांत के बारे में बात करते हुए वह कहते हैं कि जिस सिद्धांत को पुस्तक में रेखांकित किया गया है, उसमें शरीर के एसीई-2 रिसेप्टर्स को दुरुस्त करने की शक्ति है।अब सवाल है कि यह एसीई-2 रिसेप्टर क्या है!
एसीई-2 रिसेप्टर्स एक तरह का एंजाइम है, जो मानव शरीर के हृदय, फेफड़े, धमनियों, गुर्दे और आंत में कोशिका की सतह से जुड़ा होता है। यह रिसेप्टर गंभीर सांस संबंधी सिंड्रोम का कारण बनने वाले कोरोना वायरस के लिए कार्यात्मक और प्रभावी होता है।
एसीई-2 रिसेप्टर्स को निंयत्रित और दुरुस्त करने वाला हमारी सामूहिक चेतना का विज्ञान क्वांटम फिजिक्स की अवधारणाओं पर आधारित है। अगर हम सभी सामूहिक रूप से शरीर में कोरोना वायरस को नहीं रहने देने का निर्णय लेते हैं तो हमारी सामूहिक चेतना ऐसा सुनिश्चित करने में मदद करेगी।