बिलासपुर। पानी की तलाश में ठरकपुर बिट के जंगल से भटक्कर बस्ती के करीब नहर में पानी पीने पहुचे प्यासे चीतल पर कुत्तों हमला कर मार डाला घायल चीतल को बचाने ग्रामीण देवनारायण ने खूब प्रयास किया लेकिन सफलता नही मिली।
वन विभाग के अधिकारियों की उदासीनता और जंगल मे जानवरों के लिए पीने के लिए पानी की कमी ने शनिवार को फिर एक मादा चीतल की जान ले ली है। ढाई वर्षीय मादा चीतल ठरकपुर बिट के कक्ष क्रमांक 3 आरएफ से भटककर सुबह 7 बजे ठरकपुर में मंदिर के समीप नहर में पानी पीने पहुचा था आवरा कुत्तों ने प्यासे चीतल पर इस दौरान हमला कर दिया वही से गुजर रहे ग्रामीण देवनारायण कैवर्त ने कुत्तों को भगाकर घायल चीतल को बचाने का प्रयास किया लेकिन हमले में बुरी तरह से घायल चीतल ने दम तोड़ दिया। इसके बाद बिट के डिप्टी रेंजर अजय बेन को देवनारायण ने घटना की सूचना दी बिलासपुर रेंजर एसएस नाथ मौंके पर पहुँचकर पशु चिकित्सक से पोस्टमार्टम करा मृत चीतल का दाह संस्कार किया गया।
मुख्यालय में नही रहते अधिकारी कर्मचारी इसीलिए घटना पर लगाम नही
जिला के सबसे बड़े सीपत रेंज के जंगल में नियुक्त वन विभाग के अधिकारी कर्मचारी अपने बिटो नही के बराबर जाते है शहर में रहकर ही जंगल का रेख देख करते है। यही कारण है कि गर्मी आते ही जंगल मे चीतलों का शिकार होना आम बात हो गई है शिकार की जानकारी होने के बाद भी मामला को दबा देते है।
लाखो खर्च के बाद भी पानी नही है जंगल मे कागजो में है योजना
जंगल में पानी की समस्या गर्मी में देखने को मिलती है वन विभाग भले ही लाख दावा कर लें कि जानवरो के लिए जंगल के अंदर उनके पीने के लिए पानी की व्यवस्था की गई हो लेकिन उनका दावा कुछ इस तरह की घटनाएं ही पोल खोलती है। जंगल मे पानी और जानवरों की व्यवस्था के लिए लाखों खर्च किया गया है लेकिन सिर्फ कागजों में है।
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