पराली जलाने के बदले दंड नहीं, विकल्प दे सरकारविशेषज्ञों ने कहा-पराली जलाने से क्षीण होती है उर्वरा शक्ति
प्रशासन की कार्रवाई से नाराज किसान
सिहोरा
सिहोरा तहसील के अंतर्गत बड़े पैमाने में क्षेत्र का किसान धान की खेती करता है। परंतु उसके सामने फसल और उसकी हार्वेस्टर के बाद पराली एक बहुत बड़े संकट के रूप में सामने आई है।
क्षेत्र के किसानों का कहना है की इसे जलाना या नष्ट करना किसान की मजबूरी है, क्योंकि पराली की वजह से रबी की फसलों की बुवाई में समस्या होती है।
वहीं कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि यदि किसान इसे जलाते हैं तो इसमें कृषक मित्र कीट व जीव जंतु मारे जाते हैं। भूमि की उर्वरा शक्ति प्रभावित होती है और वायु प्रदूषण भी बढ़ता है। हम बात करें दूसरे प्रदेशों की जैसे दिल्ली, पंजाब, हरियाणा सरकार ने इसके लिए एक विकल्प भी निकाला है। पूसा अनुसंधान केंद्र के माध्यम से एक केमिकल का छिड़काव इस तरह की नरवाई पर किया जा रहा है। जिससे नरवाई नष्ट हो जाती है। किसान संगठन के पदाधिकारियों का कहना है की इन सरकारों की तरह मध्यप्रदेश में इस तरह का विकल्प आखिर क्यों नहीं खोजा जा रहा है। इससे एक तरफ पराली खाद के रूप में तब्दील होकर उर्वरा शक्ति बढ़ाएगी, वहीं जीव जंतु बचेंगे और प्रदूषण से भी राहत मिलेगी।
किसान बोले हम खुद नही जलाना चाहते पराली, लेकिन दूसरा कोई विकल्प नहीं
देश के अन्नदाता कहे जाने वाले किसान के ऊपर दर्ज हो रहे आपराधिक मामलों पर भी रोक लग सकेगी किसानों का कहना है की किसान पराली जलाना नहीं चाहता परंतु सरकार के द्वारा कोई विकल्प केमिकल या उसके उपयोगिता का महत्व न पता होने के कारण मजबूरी में पराली जाना पड़ रही है।
पराली को अनेक प्रकार से इस्तेमाल करने के तरीके सामने आ चुके हैं। पराली से पेपर बनाने के साथ-साथ बिजली संयंत्रों में इस्तेमाल करने की तकनीकी सामने आ चुकी है, लेकिन सच्चाई यह है की कोई भी किसानों की पराली खरीदने को सामने नहीं आता। जिस कारण किसानों को मजबूरन पराली जलाना पड़ती है।
कमल पालीवाल, कृषक घोराकोनी
किसानों की इस गंभीर समस्या के प्रति सरकार ने आज तक कोई समाधान नहीं खोजा। किसान पराली जलाना नहीं चाहता परंतु मजबूरी में उसे ऐसा कदम उठाना पड़ता है। वास्तव में पराली जलाने से खेती के मित्र जीवाणु कीटाणु मर जाते है। उपजाऊ क्षमता क्षीण होती है। परंतु सरकार मदद नहीं करती किसानों को सरकार सब्सिडी में आधुनिक उपकरण दे पराली का उपयोग गत्ता बनाने वाली फैक्ट्री व अन्य उद्योगों में भी उपयोग हो सकता है। इसके लिए सरकार चार पांच गांव के बीच में एक क्लस्टर बनाकर पराली खरीदे।
रामराज पटेल, जिला अध्यक्ष ओबीसी किसान महासभा
पराली जलाना गैर कानूनी काम है किसानों को भूलकर भी पराली नहीं जलाना चाहिए। पराली जलाने से जमीन मिट्टी में विद्वमान असंख्य संख्या में सूक्ष्म पोषक तत्व मारे जाते हैं। जिससे जमीन की उर्वरा शक्ति कमजोर होती है। धीरे-धीरे जमीन बंजर बन जाती है।पराली का संग्रहण करके खाद बनाई जा सकती है। जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय द्वारा छिड़काव हेतु केमिकल तैयार किया जा रहा है किसान उसका उपयोग कर सकते हैं।
डॉ.ए.बी.सिंह, कृषि वैज्ञानिक
पराली जलाने की स्थिति पैदा ना हो इसके लिए कंबाइन हार्वेस्टर मशीन लगाने सरकार प्रयास करे। अन्य दूसरे कई तरह के कृषि यंत्र किसान भाइयों को सरकार आधी छूट में देकर उनका प्रयोग करें तो पराली जलाने वाली स्थिति पैदा नहीं होगी।