शिवमहापुराण में सुनाई बाणासुर उद्धार की कथा
सिहोरा
गढ़िया मोहल्ला वार्ड क्रमांक 7 सिहोरा में चल रही
शिवमहापुराण कथा में बुधवार को कथावाचक पंडित इंद्रमणि त्रिपाठी ने व्यासगद्दी की आसंदी से देवदानव युद्व, विष्णु चरित्र व बाणासुर उद्धार की कथा सुनाते हुए कहा कि बाणासुर को भगवान शिव ने अपना पुत्र माना था इसलिए उसकी जान बचाने के लिए श्रीकृष्ण से युद्ध किया था। बाणासुर अहंकारी, महापापी और अधर्मी था।
इस युद्ध में बाणासुर की जान बचाने की लिए स्वयं मां पार्वती जब सामने आकर खड़ी हो गईं, तब श्रीकृष्ण ने बाणासुर को अभयदान दिया।दरअसल, बाणासुर की सुंदर कन्या उषा को अनिरुद्ध अपना दिल दे बैठे थे। श्रीकृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न का पुत्र अनिरुद्ध था। बाणासुर को जब यह पता चला तो उसने
अनिरुद्ध और उषा दोनों को कारागार में डाल दिया। नारद ने श्रीकृष्ण से जाकर कहा- 'आपके पौत्र अनिरुद्ध को बाणासुर ने कारागार में डाल दिया है।' श्रीकृष्ण ने बलराम तथा प्रद्युम्न के साथ बाणासुर पर आक्रमण कर दिया। अंत में सबको परास्त कर श्रीकृष्ण, उषा और अनिरुद्ध को लेकर द्वारका पहुंच गए।
श्रीमती उत्तरा त्रिपाठी श्रीमती ताराबाई त्रिपाठी,मंजुलता, नेहा,विनय, विनोद,राकेशमणि आनन्दमणि आदि ने शिवपुराण ग्रथ की कथावाचक पंडित इंद्रमणि त्रिपाठी के सानिध्य में पूजा आरती की।