सीता टंडन जांजगीर
सुलगता सवाल
◆ प्रश्न है कि इस हादसे की रिपोर्टिंग क्यों नहीं की गयी ? इस घटना ने अकलतरा वासियों को दो साल पुरानी घटना फिर याद दिला दी ।
दो साल पहले हुआ था बड़ा हादसा
लगभग दो साल पहले ऐसे ही खुशबू नावेल्टी नाम की दुकान पर नगर के युवक नरेश माधवानी और नसीम खान बैठे हुए थे । एक भारी -भरकम वाहन-चालक ने वाहन से अचानक ही अपना नियंत्रण खो दिया और वह.भारी वाहन नगर के मिलनसार और प्रतिभावान युवा नरेश माधवानी एवं नसीम खान को अपने चपेटे मे ले बैठा । इस भारी-भरकम वाहन के चपेट में आने से नरेश माधवानी की तत्काल मृत्यु हो गयी और नसीम खान बडी मुश्किल से अपनी जान बचा सका । इस घटना के बाद जो हंगामा होना चाहिए था हुआ । मौके पर एस डी एम ने पच्चीस हजार की सहायता राशि दी जो बाद में नरेश माधवानी के पिता के अनुसार बड़ी ही मुश्किल से वह मृतक के पिता को मिली ।
इस घटना के ठीक एक साल बाद नगर का ही एक युवक जो अपनी विधवा मां का एकमात्र सहारा था वह.ऐसे ही भारी वाहन की चपेट मे आने से काल के गाल में समा गया । इस बार एस डी एम ने नगरवासियों के दबाव में वाहन मालिक से पांच लाख की क्षतिपूर्ति राशि दिलाई ।
नीतेंद्र राणा की मौत के बाद नगर के माननीयो ने एकमत से बायपास सड़क की मांग को लेकर कलेक्टर से आग्रह किया और चेतावनी भी दी की स्वीकृत हो चुके सड़क का तकनीकी खामियों को दूर कर अगर जल्द ही निर्माण नहीं शुरू कराया गया तो नगर में धरना प्रदर्शन किया जायेगा परंतु न धरना हुआ न ही सड़क निर्माण शुरू हुआ । न जाने कौन सी तकनीकी खामी थी जो अब तक नही ठीक की जा सकी । अब इतने हादसे भी न किसी जन नेता और प्रशासनिक अधिकारियों की आंखो में किरकिरी बनकर नही चुभते , न ही अकलतरा वासियों की आंखे में ये अंधेर देख कर गुस्से से लाल होती हैं और न ही नगर के युवा जो विभिन्न संस्थाओ में युवा वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हुए भी अपने युवा साथियों के खोने से उनके खून मे उबाल नही आता है तो यह नगर की देश की और समाज की क्षति ही मानी जायेगी लोगो की इस सहिष्णुता बनाम कायरता पर पंजाबी कवि अवतार सिंह "पाश" की कविता की पंक्तियां याद आती है-
"पुलिस की मार सबसे खतरनाक नही होती
मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नही होती ,सबसे खतरनाक क्षण वह होता हैं जब गलत देखकर भी आपकी मुट्ठियाँ गुस्से से ना भीचे
वह क्षण सबसे खतरनाक होता है"