केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने गांव में पुस्तकालय का उद्घाटन करते हुए कहां है कि किसी भी देश की तरक्की इस बात से तय होती हैं कि उस देश के कितने युवा पुस्तकालय जाते है न कि देश में कितने कारखाने सैन्य साजो-सामान और अन्य दीगर चीजों से । केन्द्रीय गृह मंत्री की यह बात बहुत हद तक सही है कोई भी देश तब तक तरक्की नहीं कर सकता है जब तक उसकी युवा शक्ति में नैतिक बल , चारित्रिक मूल्य और देश प्रेम नहीं होगा । देश के युवाओं में नैतिक चरित्र जगाने और चारित्रिक मूल्य बनाये रखने और साथ ही हर तरह के ज्ञान अर्जित करने के लिए सबसे अच्छा माध्यम पुस्तकालय है । पुस्तकालय का महत्व आज इसलिए भी है कि आज के युवा इस डिजिटल युग में हर चीज डिजीटल माध्यम से खोजते हैं और इस चक्कर में धीरे-धीरे उन्होंने पुस्तकालय से दूरी बढ़ा ली है । यह बात भी सही है कि परिवर्तन प्रकृति का नियम है और वह सतत होता है और जो समय के परिवर्तन के साथ नहीं बदलता वह पीछे रह जाता है इसलिए इस परिवर्तन का हम सब स्वागत करते हैं । हालांकि यह भी सच है कि आज हर तरह का साहित्य डिजीटल माध्यम से उपलब्ध है परंतु पुस्तकालय में जाकर जो ज्ञान हासिल किया जा सकता है वह डिजिटल माध्यम से नहीं इसलिए यह जरूरी है कि हमें युवाओं को पुस्तकालय की ओर मोड़ना होगा । यहां अकलतरा विधायक सौरभ सिंह की प्रशंसा करनी होगी कि उन्होंने इस विषय पर गंभीरता से सोचा और अकलतरा में तथा कुछ गांवों में लाइब्रेरी तथा जिम की स्थापना कराई जिससे युवाओं में नैतिक और शारीरिक मजबूती आ सके । दरअसल जिस तरह हर पांच किलोमीटर के दायरे में स्कूल खोलने का नियम है उसी तरह हर पांच किलोमीटर के दायरे में एक सार्वजनिक पुस्तकालय अवश्य होना चाहिए । पुस्तकालय के महत्व पर वृंदालाल वर्मा द्वारा लिखित " झांसी की रानी " में वर्णित एक घटना याद आती है । लेखक ने 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का उल्लेख करते हुए लिखा है कि जब झांसी की रानी अंग्रेजो से युद्ध कर रही थीं तब उनके बड़े-बड़े वीर और वफादार योद्धा मारे गये परंतु उनकी आंखों से आंसू नहीं निकला लेकिन जब अंग्रेजों ने उनका पुस्तकालय जलाया जहां भारत सहित विश्व की श्रेष्ठतम पुस्तकें थीं उस समय उनकी आंखों से आंसू टपक पड़े थे । यह घटना बतातीं है कि पुस्तकालय हमारे जीवन में कितना महत्व रखते हैं । हम अपने धर्म , संस्कृति सभ्यता और साहित्य को पुस्तको के माध्यम से सहेज कर आने वाली पीढ़ियों के लिए सहेज कर रखते हैं और युवा इन्ही संस्कृतियों और सभ्यताओं से जुड़ कर गर्व महसूस करती है जिससे उनका नैतिक चरित्र , नैतिक मूल्यों का विकास होता है और आगे चलकर यही युवा देश की शक्ति बनते हैं जो देश को तरक्की की राह पर ले जाते है ।
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जांजगीर