राजा बलि के अभिमान को चूर करने भगवान ने वामन अवतार लिया : पंडित इंद्रमणि त्रिपाठी
श्री शिव मंदिर बाबा ताल में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा श्री कृष्ण कथामृत महोत्सव
सिहोरा
जीवन में ऐसे मोड़ आते हैं, जिसका हमें अंदेशा भी नहीं होता है। हमें हर बुराई से लडऩे के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि मनुष्य रूप में जन्म लेना सबसे बड़ी उपलब्धि है। उक्त प्रवचन की अमृत वर्षा पंडित इंद्रमणि त्रिपाठी ने श्री शिव मंदिर बाबा ताल में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा श्री कृष्ण कथामृत महोत्सव में मंगलवार को की। श्रीमद् भागवत कथा श्री कृष्ण कथा अमृत महोत्सव में सिहोरा विधायक नंदनी मरावी, पूर्व विधायक दिलीप दुबे, समाजसेवी विनय असाटी ने कार्यक्रम स्थल में पहुंचकर व्यासपीठ और कथावाचक पंडित इंद्रमणि त्रिपाठी का पूजन किया।
पंडित इंद्रमणि त्रिपाठी ने वामन अवतार की कथा सुनाते ने कहा कि राजा बलि को यह अभिमान था कि उसके बराबर समर्थ इस संसार में कोई नहीं है। भगवान ने राजा बलि का अभिमान चूर करने के लिए वामन का रूप धारण किया और भिक्षा मांगने राजा बलि के पास पहुंच गए। अभिमान से चूर राजा ने वामन को उसकी इच्छानुसार दक्षिणा देने का वचन दिया। वामन रूपी भगवान ने राजा से दान में तीन पग भूमि मांगी। राजा वामन का छोटा स्वरूप देख हंसा और तीन पग धरती नापने को कहा इसके बाद भगवान ने विराट रूप धारण कर एक पग में धरती आकाश दूसरे पग में पाताल नाप लिया और राजा से अपना तीसरा पग रखने के लिए स्थान मांगा। प्रभु का विराट रूप देख राजा का घमंड टूट गया और वह दोनों हाथ जोड़कर प्रभु के आगे नतमस्तक होकर बैठ गया और तीसरा पग अपने सर पर रखने की प्रार्थना की। वामन अवतार का झांकियों के साथ वृतांत सुनकर भक्त भाव-विभोर हो गए। कथा के बीच-बीच में भजनों ने भक्तों को भक्ति में झूमने के लिए मजबूर कर दिया।