भगवान की लीलाएं मानव जीवन के लिए है प्रेरणादायक : पंडित इंद्रमणि त्रिपाठी
भगवान श्री कृष्ण की बाल लीलाएं और गोवर्धन पूजन की कथा सुन मंत्रमुग्ध हुए श्रद्धालु
सिहोरा
श्री शिव मंदिर बाबाताल में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा श्री कृष्ण कथामृत में पंचम दिवस कथा व्यास पीठ से पंडित इंद्रमणि त्रिपाठी ने श्रोताओं को श्री कृष्ण की बाल लीलाएं एवं गोवर्धन पूजा की कथा प्रसंग सुनाया। जिसे सुनकर श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए। भागवत कथा में इंद्रमणि त्रिपाठी द्वारा अपनी कथा के माध्यम से श्रोताओं को श्री कृष्ण भगवान की बाल लीलाओं का प्रसंग सुनाया। जिसके अंतर्गत श्री कृष्ण के भगवान के द्वारा अपने बाल शखाओं के साथ गायों को चराने गांव की गोपीकाओ के घरों में घुसकर दूध दही एवं माखन खाने तथा माखन से भरी हुई मटकियों को फोड़ने सहित अन्य बाल लीलाओं की कथा सुनाई। जिन्हें सुनकर श्रोता श्री कृष्ण भगवान की बाल लीलाओं को सुनकर मंत्रमुग्ध हो गए। श्रीमद् भागवत कथा में गुरुवार को नगर पालिका अध्यक्ष संध्या दिलीप दुबे एवं वार्ड क्रमांक 11 की पार्षद बेबी विनयपाल ने व्यास पीठ का पूजन कर कथा वाचक पंडित इंद्रमणि त्रिपाठी का स्वागत कर आशीर्वाद लिया
मथुरा के राजा कंस के द्वारा श्री कृष्ण भगवान को अपना काल समझते हुए उनको बाल रूप में ही मरवाने के लिए कंस के द्वारा पूतना राक्षसी को, राक्षसों को द्वारका में भेज कर श्री कृष्ण को मरवाने के प्रयास किए गए, लेकिन उसकी सारी योजनाएं विफल रही। पंडित इंद्रमणि त्रिपाठी ने श्रोताओं को अपनी कथा के माध्यम से गोवर्धन लीला का प्रसंग सुनाते हुए बताया कि राजा इंद्र को अपने आप पर बहुत बड़ा घमंड अभिमान था जैसे चूर चूर करने के लिए श्री कृष्ण भगवान ने गोवर्धन लीला रचाई और ग्रामीणों के साथ गोवर्धन पूजा के लिए गोवर्धन पर्वत पर पहुंच गए | ग्रामीणों ने बताया कि प्रतिवर्ष गोवर्धन पूजा के समय इंद्र देवता को भोग लगाया जाता था ।