Kanker.�कांकेर। छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले से एक बेहद हृदयविदारक और अमानवीय घटना सामने आई है, जिसने वन्यजीवों के प्रति क्रूरता और संवेदनहीनता की चरम सीमा को उजागर किया है। सोशल मीडिया पर 31 जुलाई की शाम एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें एक व्यक्ति अजगर जैसे संरक्षित वन्यजीव को रस्सी से बांधकर मोटरसाइकिल से घसीटते हुए ले जा रहा है। यह दृश्य न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि मानवीयता के भी खिलाफ है। वीडियो वायरल होते ही पूरे प्रदेशभर में आक्रोश की लहर दौड़ गई। इस वीडियो को लेकर वन्यजीव प्रेमियों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी और प्रशासन से आरोपी के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग की।
डीएफओ ने दिए तत्काल जांच के आदेश
मामले की गंभीरता को देखते हुए कांकेर वन मंडलाधिकारी (DFO) रौनक गोयल ने तुरंत संज्ञान लिया और जांच के आदेश जारी किए। जांच में पाया गया कि वीडियो में दिख रहा व्यक्ति सुरेश जैन, निवासी आतुरगांव, कांकेर का है। वीडियो में साफ देखा गया कि आरोपी ने एक जीवित अजगर को पकड़ कर रस्सी से मोटरसाइकिल के पिछले हिस्से में बांधा हुआ था, और उसे कई मीटर तक सड़क पर घसीटते हुए ले गया। वन विभाग की टीम ने पुलिस विभाग के सहयोग से 6 अगस्त को आरोपी सुरेश जैन को गिरफ्तार किया। इसके बाद आरोपी को न्यायालय में प्रस्तुत किया गया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। गिरफ्तारी से पहले वन विभाग ने 5 अगस्त को आरोपी के खिलाफ वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम, 1972 की धारा 9 और 51 के तहत प्राथमिकी (FIR) दर्ज की थी।
यह है कानून का उल्लंघन
वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत अजगर जैसे सांप संरक्षित श्रेणी में आते हैं। अधिनियम की धारा 9 के अनुसार, किसी भी संरक्षित प्राणी को पकड़ना, नुकसान पहुंचाना, या उसकी हत्या करना गैरकानूनी और दंडनीय अपराध है। वहीं, धारा 51 में ऐसे अपराधों के लिए सजा और जुर्माने का प्रावधान है, जिसमें आरोपी को 3 से 7 साल तक की जेल और आर्थिक दंड दिया जा सकता है। कांकेर वन मंडल द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि इस तरह की वन्यजीवों के प्रति क्रूरता की घटनाओं को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आम जनता को यह स्पष्ट संदेश दिया गया है कि यदि कोई व्यक्ति वन्यजीवों को नुकसान पहुंचाता है, उनका शिकार करता है, या उन्हें परेशान करता है, तो उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
सोशल मीडिया से हुई पहचान
यह मामला यह भी दर्शाता है कि किस तरह सोशल मीडिया आज अपराधों के खिलाफ एक सशक्त उपकरण बनकर उभर रहा है। वीडियो वायरल होते ही न केवल जनता जागरूक हुई, बल्कि प्रशासन ने भी तत्परता दिखाते हुए उचित कार्रवाई की। यदि यह वीडियो सामने न आता, तो संभवतः यह क्रूरता बिना किसी सजा के रह जाती। वन विभाग की इस तेजी से की गई कार्रवाई की पर्यावरण प्रेमियों और आम नागरिकों ने सराहना की है। लोगों ने सोशल मीडिया पर वन विभाग और पुलिस को धन्यवाद देते हुए मांग की है कि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए जनजागरूकता अभियान चलाया जाए।