सूरजपुर। छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले में आयोजित व्यापम आबकारी आरक्षक भर्ती परीक्षा के दौरान एक विवाद खड़ा हो गया है। शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय परीक्षा केंद्र में परीक्षार्थियों के हाथों में बंधे कलावा (रक्षा सूत्र) को कथित रूप से जबरन काटकर जूते-चप्पलों में फेंकने का मामला सामने आया है। इस घटना को लेकर हिंदू संगठनों ने कड़ी आपत्ति जताई है और आस्था से खिलवाड़ बताते हुए जिम्मेदारों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की है। मामले के तूल पकड़ने के बाद कलेक्टर एस जयवर्धन ने संज्ञान लेते हुए चार सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है। जांच समिति को तीन दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं। जांच के बाद दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की बात कही गई है।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला 28 जुलाई को हुए व्यापम आबकारी परीक्षा से जुड़ा है। परीक्षार्थियों के अनुसार, शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सूरजपुर में परीक्षा केंद्र पर जब वे परीक्षा देने पहुंचे, तब वहां की केंद्राध्यक्ष और ड्यूटी में तैनात दो आरक्षकों ने उनके हाथों में बंधे कलावा (धार्मिक रक्षासूत्र) को काटकर उसे जूते-चप्पलों में फेंक दिया।
परीक्षार्थियों ने इसे न केवल अपमानजनक बल्कि सनातन धर्म की भावना को आहत करने वाला बताया। घटना के बाद यह मुद्दा तेजी से फैल गया और स्थानीय हिंदू संगठनों ने इसकी लिखित शिकायत कलेक्टर को सौंपी। शिकायत में यह भी मांग की गई कि 72 घंटे के भीतर दोषियों को निलंबित किया जाए, नहीं तो उग्र आंदोलन किया जाएगा।
आरोप किन पर?
हिंदू संगठनों की शिकायत में केंद्राध्यक्ष सह प्राचार्या (शासकीय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय) का नाम प्रमुख रूप से शामिल है। इसके अलावा ड्यूटी पर तैनात दो पुलिस आरक्षकों पर भी कलावा काटने का आरोप लगाया गया है। शिकायतकर्ताओं का कहना है कि परीक्षा केंद्र में सुरक्षा के नाम पर धार्मिक पहचान को निशाना बनाया गया। केवल कलावा पहनने वाले छात्रों को रोका गया, जबकि अन्य छात्रों के साथ ऐसा व्यवहार नहीं हुआ।
कलेक्टर ने बनाई जांच समिति
हिंदू संगठनों की शिकायत और विवाद बढ़ने के बाद जिला कलेक्टर एस जयवर्धन ने त्वरित संज्ञान लिया और इस मामले की जांच के लिए एक चार सदस्यीय समिति का गठन किया है।
जांच समिति में शामिल हैं:
एसडीएम सूरजपुर (समिति अध्यक्ष)
डिप्टी कलेक्टर सूरजपुर
थाना प्रभारी कोतवाली सूरजपुर
प्राचार्य, जिला स्तरीय शासकीय महाविद्यालय
जांच दल को तीन कार्य दिवसों के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं। रिपोर्ट के आधार पर जिम्मेदार अधिकारियों/कर्मचारियों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
धार्मिक संगठनों ने जताई कड़ी आपत्ति
इस पूरे मामले पर हिंदू संगठनों ने आक्रोश जताया है। संगठनों का कहना है कि परीक्षा में सुरक्षा जांच के नाम पर धार्मिक प्रतीकों और परंपराओं के साथ छेड़छाड़ स्वीकार नहीं की जाएगी। विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, संस्कृत भारती जैसे संगठनों ने एकजुट होकर जिला प्रशासन से मांग की कि यह आस्था से जुड़ा विषय है और दोषियों को तत्काल बर्खास्त किया जाए। इन संगठनों ने यह भी कहा कि यदि 72 घंटे में ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो जिला स्तर पर आंदोलन किया जाएगा।
सोशल मीडिया पर भी हुआ वायरल
यह घटना सोशल मीडिया पर भी वायरल हो गई है। परीक्षार्थियों और स्थानीय नागरिकों ने वीडियो और फोटो साझा करते हुए इसे हिंदू धर्म का अपमान बताया। कई लोगों ने यह सवाल उठाया कि कलावा पहनना परीक्षा की निष्पक्षता में कैसे बाधा है? क्या धार्मिक प्रतीकों को निशाना बनाना अब सामान्य प्रक्रिया बन गई है? जांच समिति के गठन के साथ ही जिला प्रशासन ने एक संक्षिप्त स्पष्टीकरण जारी कर कहा है कि परीक्षा के दौरान सुरक्षा मानकों का पालन करना आवश्यक होता है। हालांकि, अगर किसी कर्मी द्वारा धार्मिक भावनाओं को आहत किया गया है तो इसकी निष्पक्ष जांच कर कार्रवाई की जाएगी।