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भगवान बुद्ध के पिपरहवा अवशेष 127 वर्षों बाद भारत लौटे, मंत्री नेताम ने कहा गौरवपूर्ण क्षण

31 Jul 2025 | WEENEWS DESK | 3 views
भगवान बुद्ध के पिपरहवा अवशेष 127 वर्षों बाद भारत लौटे, मंत्री नेताम ने कहा गौरवपूर्ण क्षण

नई दिल्ली/रायपुर। भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत से जुड़ा एक अत्यंत महत्वपूर्ण क्षण सामने आया है। भगवान बुद्ध के पिपरहवा अवशेष 127 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद भारत वापस लौट आए हैं। इस ऐतिहासिक वापसी पर कृषि मंत्री राम विचार नेताम ने इसे गर्व और हर्ष का विषय बताया है। उन्होंने कहा कि यह केवल एक सांस्कृतिक धरोहर की वापसी नहीं, बल्कि भारत की आध्यात्मिक पहचान और गौरव की पुनः स्थापना है। कृषि मंत्री नेताम ने बताया कि मई 2024 में भारत सरकार ने इन अवशेषों की विदेशों में संभावित नीलामी को रोकने के लिए कानूनी और राजनयिक स्तर पर प्रभावी हस्तक्षेप किया था। सरकार के इन प्रयासों के फलस्वरूप यह अमूल्य धरोहर आज पुनः भारतवर्ष की पवित्र भूमि पर लौटी है।


भगवान बुद्ध के पिपरहवा अवशेषों का 127 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद भारत वापस लाना अत्यंत गर्व और हर्ष का विषय है। मई 2024 में भारत सरकार ने इन अवशेषों की नीलामी को कानूनी रूप से रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए थे, जिसके फलस्वरूप आज ये अनमोल धरोहर पुनः अपनी धरती पर लौट सकी है।


क्या हैं पिपरहवा अवशेष?

पिपरहवा, उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले में स्थित एक ऐतिहासिक स्थल है, जो भगवान बुद्ध के समय का महत्वपूर्ण केंद्र माना जाता है। वर्ष 1898 में इस स्थान पर ब्रिटिश पुरातत्वविद विलियम क्लॉक्स ने खुदाई के दौरान कुछ धातु कलश और अस्थि अवशेष प्राप्त किए थे, जिनमें पालि भाषा में भगवान बुद्ध से संबंधित अभिलेख थे। यही अवशेष बाद में विभिन्न माध्यमों से विदेशों में पहुंच गए थे, और हाल ही में इनमें से कुछ अवशेषों की नीलामी की प्रक्रिया शुरू हो गई थी।


भारत सरकार की तत्परता

अवशेषों की नीलामी की खबर मिलते ही भारत सरकार ने इस पर गंभीरता से संज्ञान लिया। विदेश मंत्रालय और संस्कृति मंत्रालय के समन्वय से भारत ने न केवल कानूनी आधार प्रस्तुत किए, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सांस्कृतिक संरक्षण का मुद्दा भी उठाया। अंततः इन प्रयासों के फलस्वरूप यह अमूल्य धरोहर भारत को लौटा दी गई। कृषिमंत्री राम विचार नेताम ने कहा कि “यह भारत की सांस्कृतिक चेतना और सभ्यता के संरक्षण के प्रति हमारी सरकार की प्रतिबद्धता का प्रमाण है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत न केवल अपनी प्राचीन धरोहरों को संरक्षित कर रहा है, बल्कि उन्हें विश्व मंच पर उचित सम्मान भी दिला रहा है।”


सांस्कृतिक अस्मिता की पुनर्प्रतिष्ठा

नेताम ने कहा कि पिपरहवा अवशेषों की वापसी केवल ऐतिहासिक घटना नहीं, बल्कि सांस्कृतिक आत्मगौरव की वापसी है। उन्होंने यह भी कहा कि यह भारत के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की भावना को और अधिक प्रबल करेगा और युवा पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ने में भी सहायक सिद्ध होगा।

WEENEWS DESK
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