उदयपुर। शनिवार रात लगभग 8 बजे उदयपुर पंचायत भवन के समीप नेशनल हाईवे-130 पर एक बड़ा सड़क हादसा हो गया। इस घटना में एक तेज रफ्तार ट्रक द्वारा टक्कर मारने से एक इनोवा वाहन अनियंत्रित हो गया और बेकाबू होकर कुशवाहा बिरयानी दुकान को टक्कर मारते हुए एक दोपहिया वाहन मरम्मत की दुकान में जा घुसा। हादसा इतना भीषण था कि मोटर साइकिल रिपेयरिंग की दुकान में खड़ी तीन बाइक्स बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गईं। वहीं दुकान का शेड भी टूट गया। गनीमत यह रही कि इस दुर्घटना में कोई व्यक्ति गंभीर रूप से घायल नहीं हुआ।
प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि इनोवा चालक शराब के नशे में था। घटना से पहले उसने तेज रफ्तार में ओवरटेक किया और फिर अचानक गाड़ी की रफ्तार धीमी कर दी। इस बीच पीछे से आ रहे ट्रक ने उसे टक्कर मार दी। नियंत्रण खोते ही इनोवा पहले सड़क किनारे बिरयानी दुकान से टकराई और फिर तीन मोटरसाइकिलों को रौंदते हुए रिपेयरिंग शॉप में घुस गई। घटना के बाद इनोवा वाहन को एक ट्रैक्टर की मदद से हटाया गया। मौके पर मौजूद दुकानदारों ने वाहन मालिक से मुआवजे की मांग की है, क्योंकि उनके दुकानों को भारी नुकसान पहुंचा है। हालांकि, समाचार लिखे जाने तक पुलिस थाने में इस घटना को लेकर कोई आधिकारिक शिकायत दर्ज नहीं हुई थी।
अवैध अतिक्रमण बना हादसों का कारण
इस घटना ने एक बार फिर उजागर किया है कि एनएच-130 के किनारे अवैध रूप से लगी दुकानें और ठेले किस तरह लोगों की जान के लिए खतरा बनते जा रहे हैं। खासकर उदयपुर जनपद कार्यालय से लेकर अस्पताल तक की दो किलोमीटर की सड़क पर दर्जनों गुमटियां, ठेले, बिरयानी सेंटर, फल और चाय-पान के ठेले नाली पर या सड़कों के बेहद करीब लगाए जा रहे हैं। सड़क के दोनों ओर दुकानदार अपने सामान को बाहर तक फैला रहे हैं। कई दुकानदारों द्वारा सड़क के किनारे तक कब्जा कर लिया गया है, जिससे यातायात में बाधा उत्पन्न हो रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन की लापरवाही और मौन रवैये के चलते यह समस्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। अगर समय रहते प्रशासन ने इन अतिक्रमणों पर कार्रवाई नहीं की, तो भविष्य में ऐसे हादसे और जानलेवा हो सकते हैं।
बस स्टैंड क्षेत्र में भी चिंताजनक हालात
केवल हाईवे ही नहीं, बस स्टैंड क्षेत्र की स्थिति भी बेहद चिंताजनक है। वहां मुख्य सड़क से महज 5 से 10 फीट की दूरी पर फल, सब्जी और चाय-पान की दुकानें सजाई जा रही हैं। चालकों को मुड़ने या ब्रेक लगाने की पर्याप्त जगह नहीं मिलती, जिससे दुर्घटनाओं की आशंका हमेशा बनी रहती है। वहीं, शाम के समय जब भीड़ अधिक होती है, तो पैदल चलने वालों को भी दुकान और वाहनों के बीच से रास्ता बनाकर निकलना पड़ता है, जो बेहद जोखिम भरा होता है।
स्थानीय लोगों ने जताई नाराजगी
हादसे के बाद मौके पर जुटे स्थानीय लोगों ने प्रशासन पर सवाल उठाए। उनका कहना था कि बार-बार शिकायत के बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाती। पुलिस और नगर पंचायत केवल हादसों के बाद मौके पर आती है, लेकिन अतिक्रमण हटाने जैसे मुद्दों पर गंभीरता नहीं दिखाई जाती। लोगों का यह भी कहना है कि प्रशासनिक अनदेखी की वजह से दुकानदारों का हौसला बढ़ा हुआ है। यदि जल्द ही इस समस्या पर ध्यान नहीं दिया गया, तो भविष्य में बड़ी जनहानि से इनकार नहीं किया जा सकता। इस घटना के बाद स्थानीय नागरिकों, दुकानदारों और राहगीरों ने प्रशासन से तत्काल अतिक्रमण हटाने, दुकानों को नियत स्थानों पर शिफ्ट करने और सुरक्षा उपाय लागू करने की मांग की है। लोगों ने कहा कि यदि इस बार भी हादसे को नजरअंदाज किया गया तो वे जन आंदोलन या प्रशासनिक घेराव करने को मजबूर होंगे।