बिलासपुर। जिले में बीते 15 दिनों के भीतर तीन अलग-अलग दर्दनाक सड़क हादसों में 67 मवेशियों की मौत हो चुकी है। इन घटनाओं ने न सिर्फ प्रशासन की लापरवाही को उजागर किया है, बल्कि बेसहारा मवेशियों की दुर्दशा और सड़क सुरक्षा पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। 30 जुलाई की रात, बिलासपुर-रायपुर नेशनल हाईवे पर लिमतरा के पास तेज रफ्तार अज्ञात वाहन ने सड़क पर बैठे मवेशियों को कुचल दिया। इस हादसे में 15 गायों की मौके पर मौत हो गई, जबकि एक गंभीर रूप से घायल है। सुबह जब स्थानीय लोग घटनास्थल पर पहुंचे, तो हाईवे पर मवेशियों की लाशें बिखरी हुई थीं, जिससे यातायात भी घंटों बाधित रहा। वाहन चालक मौके से फरार हो गया और अब तक उसका कोई सुराग नहीं मिल पाया है।
इससे पहले 15 जुलाई को रतनपुर के पास हाईवे पर हुए हादसे में 22 गायों को टक्कर मारी गई थी, जिनमें से 17 की मौत हो गई थी। तब भी प्रशासन ने इस गंभीर समस्या के निराकरण को लेकर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। तीसरी बड़ी दुर्घटना 27 जुलाई को रायपुर रोड स्थित सिलपहरी, कराड़ और ढेका गांव के बीच रात 2:30 बजे हुई, जब सड़क पर बैठे मवेशियों के झुंड को एक भारी वाहन ने रौंद डाला। हादसे में 19 गायों की मौके पर मौत हुई, जबकि 6 मवेशियों ने इलाज के दौरान दम तोड़ा। कई मवेशी अब भी इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती हैं।
इन घटनाओं के बावजूद न तो सड़कों से मवेशियों को हटाने की कोई ठोस पहल की गई है, न ही वाहन चालकों की जिम्मेदारी तय हो सकी है। दो दिन पहले कलेक्टर ने एक बैठक में अधिकारियों को निर्देश जरूर दिए थे कि सड़क पर मवेशी पाए जाने पर उनके मालिकों के खिलाफ FIR दर्ज की जाए, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं दिख रही है। इन हादसों से यह स्पष्ट हो गया है कि जब तक प्रशासनिक अमला सख्ती से कार्रवाई नहीं करेगा और सड़कों पर बेसहारा मवेशियों की मौजूदगी को लेकर गंभीर नहीं होगा, तब तक ऐसी घटनाएं रुकने वाली नहीं हैं। बिलासपुरवासियों ने मांग की है कि हादसों की पुनरावृत्ति रोकने के लिए मवेशियों के लिए शेल्टर होम की व्यवस्था हो और अभियान चलाकर उन्हें सड़कों से हटाया जाए।